मंगलवार, 30 मार्च 2010

तुम्हीं मेरी मैया अम्बे भवानी

पहले पोस्ट पे आप सब की प्रतिक्रियाओं से मेरा हौसला काफी बढ़ा है और मैं प्रेरित होकर आप सब के सामने एक और रचना पेश कर रही हूँ। यह गीत खानदान फिल्म के 'तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा, तुम्हीं देवता हो' के धुन पे लिखने की कोशिश की गयी है...आशा है ये प्रयास भी आप सबको पसंद आएगा...

तुम्हीं मेरी मैया अम्बे भवानी,
तुम्हीं प्रेरणा हो तुम्ही प्रेरणा हो

तुम्हीं जिन्दगी माँ,तुम्ही दिल की धड़कन
तुम्हीं साज मेरी तुम्ही सुर की सरगम

तुम्हीं बसी हो गीतों में मेरी,
तुम्हीं गीत मेरी तुम्हीं वंदना हो

मै माटी की हूँ नन्हा सा पुतला,
तुम्हीं प्राण मेरी तुम्हीं चेतना हो

मेरी माँ भवानी छिपी तुम कहाँ हो,
आ जाओ माँ मेरी दर्शन दिखा दो

तुम्हीं मेरी मैया अम्बे भवानी,
तुम्हीं प्रेरणा हो तुम्हीं प्रेरणा हो

रविवार, 28 मार्च 2010

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

'मेरा आँगन' का यह पहला पोस्ट है, जो स्वरचित है और इसे मैंने 'फूल तुम्हें भेजा है ख़त में' गीत के धुन पे लिखने की कोशिश की है। उक्त गीत फिल्म 'सरस्वती चन्द्र' में गीतकार इन्दीवर ने लिखा था और जो कि बहुत प्यार गीत है। धुन दिया था कल्यानजी आनंदजी ने।

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ
फूल मेरा स्वीकार करो
दुखियो का दुःख हरने वाली
मेरी भी नैया पार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

सारी दुनिया छान चुकी अब
कोई मुझे न मिल पाया
भोर चली थी सांझ हुई अब
राह किसी ने ना दिखलाया
आ गयी तेरी शरण में माता
मेरा अंगीकार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

चंडी रूप में तुने मैया
असुरों का संहार किया
अम्बे जय जगदम्बे मैया
देवों ने जयकार किया
मेरे मन के पाप मिटा कर
मेरा भी उद्धार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...