शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...

शिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
माटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...

मिलता है मानव शरीर जब बदलते हैं लाखों चोले
दुनिया में आके सब क्यूँ उठाते हैं इतने झमेले
चार दिनों की चांदनी है,
फिर तो अंधियारी है जरा सोंच लो...
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...

खेलों में बिताया बचपन और ऐश में जवानी गुजारी
आया है बुढ़ापा अब तो, याद करते हो बीती कहानी
जान न पाया जीवन को तू,
तू तो अज्ञानी है जरा सोंच लो ...
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...

दुनिया की रीत है वन्दे, कोई जाए न साथ किसी के
गुरु नाम जप ले, वही जाता है साथ सभी के
शिव नाम बोल,
गुरु नाम ले यही, यही गुरु वाणी है जरा सोंच ले
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...

शिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
माटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...