रविवार, 28 मार्च 2010

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

'मेरा आँगन' का यह पहला पोस्ट है, जो स्वरचित है और इसे मैंने 'फूल तुम्हें भेजा है ख़त में' गीत के धुन पे लिखने की कोशिश की है। उक्त गीत फिल्म 'सरस्वती चन्द्र' में गीतकार इन्दीवर ने लिखा था और जो कि बहुत प्यार गीत है। धुन दिया था कल्यानजी आनंदजी ने।

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ
फूल मेरा स्वीकार करो
दुखियो का दुःख हरने वाली
मेरी भी नैया पार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

सारी दुनिया छान चुकी अब
कोई मुझे न मिल पाया
भोर चली थी सांझ हुई अब
राह किसी ने ना दिखलाया
आ गयी तेरी शरण में माता
मेरा अंगीकार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

चंडी रूप में तुने मैया
असुरों का संहार किया
अम्बे जय जगदम्बे मैया
देवों ने जयकार किया
मेरे मन के पाप मिटा कर
मेरा भी उद्धार करो

फूल चढ़ाने आई हूँ माँ...

19 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लिखती हैं राइमा जी। प्रयास जारी रहे..................।

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  2. Behad sundar rachna...gar pahla prayas itna khoobsoorat hai,to shikhar door nahi..!

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  3. आपके पास न शब्दों की कमी है ना अभिव्यक्ति की.. कविता के फॉर्मेट की समझ है आपको .. फिर क्यों किसी फिल्मी धुन (मैं स्वयं इंदीवर और कल्याञी भाई का ज़बर्दस्त फैन हूँ) पर आधरित कविता लिखी है आपने.. फिल्म “अतिथि तुम कब जाओगे” का गीत (माता की भेंट) इसी विधा पर व्यंग्य करता है ,
    ये संसार है मँझधार, मैय्या करेगी बेड़ा पार सबका
    आके मंदिर मे माँ का परसाद लई ले..
    विचार करें मेरी बात पर..

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  4. jai mata di,
    Bahut achchhi geet,
    aur hamne original dhun par gaya
    hildi blog lekhan me aapka swagat hai.

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। अनन्त शुभकामनाएं ।

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  6. आप मेरे ब्लॉग पर आयी और अपना कीमती समय देकर मेरा उत्साहवर्धन किया , आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
    वैसे आपका ब्लॉग भी बहुत अच्छा है , कविता तो बहुत ही हृदय स्पर्शी है . अनन्त शुभकामनाएं ।

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  7. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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