शिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
माटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...
मिलता है मानव शरीर जब बदलते हैं लाखों चोले
दुनिया में आके सब क्यूँ उठाते हैं इतने झमेले
चार दिनों की चांदनी है,
फिर तो अंधियारी है जरा सोंच लो...
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
खेलों में बिताया बचपन और ऐश में जवानी गुजारी
आया है बुढ़ापा अब तो, याद करते हो बीती कहानी
जान न पाया जीवन को तू,
तू तो अज्ञानी है जरा सोंच लो ...
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
दुनिया की रीत है वन्दे, कोई जाए न साथ किसी के
गुरु नाम जप ले, वही जाता है साथ सभी के
शिव नाम बोल,
गुरु नाम ले यही, यही गुरु वाणी है जरा सोंच ले
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
शिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
माटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...
कुछ लोग हैं जो भीड़ की आवाज़ बनने में लगे हैं
5 वर्ष पहले
काफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंदुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ... बहुत बढ़िया जी,
कुंवर जी,
guru ki mahima aur kya seekh thi is rachna me ...maan gaye,
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
आपकी रचनाओं की दिशा बहुत सही है....
जवाब देंहटाएंमुझे पसंद आई.
लिखते रहिये.
बहुत अच्छी लगी ये रचना......
जवाब देंहटाएंरचना बहुत बढ़िया लगी, आभार!!
जवाब देंहटाएंMaaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
जवाब देंहटाएंकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंkavitarupi bhajan.....!!acchha lagaa.....
जवाब देंहटाएंमिलता है मानव शरीर जब बदलते हैं लाखों चोले
जवाब देंहटाएंदुनिया में आके सब क्यूँ उठाते हैं इतने झमेले
चार दिनों की चांदनी है,
फिर तो अंधियारी है जरा सोंच लो...
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
.... yahi to jindagi hai...
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंkavita ka sheershak hi kheech laaya yahan mujhe padhne ko..
जवाब देंहटाएंदुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
waah bahut hi behtareen rachna....
aane waali rachnaon ka v intzaar rahega.....
shekhar ( http://i555.blogspot.com/ )
जीवन की सच्चाई से अवगत करवाती हुई बहुत ही अच्छी रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
"दुनिया बेगानी है जरा सोच लो..."
जवाब देंहटाएंअध्यात्मिक सन्देश देता भजन पढ़कर अच्छा लगा
शिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
जवाब देंहटाएंमाटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...
बहुत सुंदर.....!!
आधे सत्य और आधे असत्य को दर्शाती है
जवाब देंहटाएंये कविता. फ़िर भी ये सोच मौलिक है
अर्थात कहीं से प्रभावित नहीं है तो
प्रसंशनीय है .ये बात नीचे की दो पैरोडी
को देखकर मन में आती है .वास्तव में
गुरु ग्यान को लेकर भी आपका भाव अधिक
स्पष्ट नहीं हैं ..ये वास्तव में उसी तरह है कि
कोई बीमार सोच ले कि मर जाना है और मुझे ही
क्या हरेक को मर जाना है और इस पर एक दार्शनिक
चिंतन करके रह जाय ..ऐसा नहीं हैं हर चीज का
इलाज है और इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है
राजा परीक्षित..
satguru-satykikhoj .blogspot.com
राइना जी। आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। आपकी कविता में एक शब्द आया है। सोच। आपने उसे सोंच लिखा है। कृपया सुधार लें। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंशिव गुरु गुण गाने से मिल जाता है ज्ञान
जवाब देंहटाएंमाटी के देह पे किया जाता नहीं है गुमान
दुनिया बेगानी है जरा सोंच लो...
यही जिंदगानी है जरा सोंच लो ...
बहुत सुंदर.....!!
लाजवाब प्रस्तुती ||
Bahut khoob....sawan ka mahina aur aapki kavita se shiv gud-gan...!
जवाब देंहटाएंdil ko bahut sukun degaya!
www.ravirajbhar.blogspot.com
काफी सुन्दर रचना हैं आपकी ....जीवन के यतार्थ से परिचय करवाती रचना .....आपका ब्लॉग अच्छा लगा ......ऐसी रचनाये कम देखने को मिलती हैं ......शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंकभी फुरसत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयिए -
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bahut din ho gaye aapko padhe huye....
जवाब देंहटाएंaapka intzaar hai..
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मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद..
इसकी छाँव में आप भी पधारें....